शनिवार, 7 अगस्त 2010

नन्हे नन्हे पैरो से शरू होती है जिंदगानी
लगते ही मेहँदी पैरो मै बदल जाती है कहानी

कितनी सुन्दर लगती है ये पग्तिया

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