शनिवार, 7 अगस्त 2010

नारी सम्मान

अगर आप सोच रहे है के मै यहाँ नारी अपमान की गाथा सुनाने आइ हूँ ...तो बता दू यहाँ ऐसा कुछ नहीं होगा
नारी किसी दूर देश मै नहीं रहती वो तो यही है आपके आस पास कभी माँ बन कर तो कभी बेटी बन कर कभी बहु बन कर तो कभी पत्नी बन कर और भी न जाने कितनी जिन्दगी जीती है नारी,,,,,,,,, तो जाहिर है उसकी दर्द और पीड़ा किसी से छुपी नहीं है इसलिए जो सबको पता है वो नहीं लिखुगी और न ही किसी से नारी के सम्मान को बनाये रखने की गुजारिश करुगी??
वो सब तो यहाँ बरसों से हो रह है
नारी रोज किसी न किसी रूप मैं अपमान का सामना कर रही है,,,,, ,माना आज नारी पढ़ लिख गयी है नोकरी करती है पर उस पड़ी लिखी नारी को भी जिस अपमान का सामना करना पड़ता है वो किसे से छुपा नहीं है कभी अपनों से तो कभी परायो से सभी तो शामिल है ,,,,,,,,,,आज मै आपको ये नहीं कहुगी की महिला को सम्मान से जीने दो और ना ही पुरुष समाज पर इल्जाम लगा कर बात खटम करुगी शायद ये अपमान होगा उन पुरुषो का जिन्होंने महिला उथान के लिए अपना योगदान दिया मै बात करना चाहूंगी हर उस महिला से जिसने किसी न किसी रूप मै अपमान का सामना किया है
आप जानती है शिक्षा की प्रारम्भ सफ़र मै नारी को शिक्षित करने का मकसद सिर्फ नोकरी करना नहीं था
,तब सोच थी की पढ़ी लिखी माँ अपनी संतान को सही सिक्षा दे जिससे वो एक जिम्मेदार इन्सान बन सके ,संस्कार तो दिए माँ ने पर मै पूछती हूँ????????????? कितनी माओ नै अपने बेटे से कहा की नारी का सम्मान करे ,कभी नारी का अपमान ना करे शाएद वो ये सब कहना जरूरी ना समझी उन्हें लगा उनका वक्त तो निकल गया ,पर वो भूल गयी की उनकी बेटी को भी इसी समाज मै जीना है ,अगर हर माँ अपनी संतान को बचपन मै ये संस्कार दे की नारी के लिए उसका सम्मान क्या मायने रखता है तो शायद आने वाले वक्त मै दुनिया बदली नजर आये वक्त लगेगा पर ये अगेर कोई कर सकता है तो नारी ,और अगर पुरुष समाज का साथ भी मिल जाये तो क्या कहने
जय हिंद जय भारत

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें