गुरुवार, 16 जून 2011


कभी खुद पे कभी हालात पे रोना आया
बात निकली तो हर एक बात पे रोना आया

हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उनको
क्या हुआ आज, यह किस बात पे रोना आया

किस लिए जीते हैं हम किसके लिए जीते हैं
कई बार ऐसे सवालात पे रोना आया

कौन रोता है किसी और की खातिर ए दोस्त!
सबको अपनी ही किसी बात पे रोना आया