तरस गई हूँ मैंपथरा गई आँखें।देख चुकी रास्ताकई बार जा के।
पूछा पड़ोसियों सेउसे देखा है कहीं।पागल समझते हैंमुझे लोग सभी।
बहुत मन्नतें माँगीबहुत रोई, गिड़गिड़ाई।कितने संदेशे भेजे परकाम वाली आज फिर नहीं आई।
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