शुक्रवार, 30 जुलाई 2010


आओ बनाएँ कुछ अच्छे दोस्त
हर किसी के जीवन में कभी ना कभी कुछ ऐसे पल आते हैं जब वो अपने आप को हज़ारों लोगों के बीच में रहकर भी अकेला पाता है। अपने दफ्तर में या किसी पार्टी में भी उसे यही महसूस होता है कि वह कितना अकेला है। वह व्यक्ति अपने इस अकेलेपन का ज़िम्मेदार उन लोगों को मानने लगता है जो उससे बात नहीं करते या उसके दोस्त नहीं बनना चाहते...
अपने आपको एक अच्छा मित्र साबित करना और अपने पास अच्छे मित्र होना, ये दो ऐसी चीजें हैं जो न केवल आपकी दिनचर्या को खुशनुमा बनाती हैं बल्कि आप जीवनभर आत्मसंतोष को अनुभव करते हैं। परंतु मित्रता एकाएक नहीं हो जाती। मित्रता पैदा की जाती है और उसे बनाए रखना पड़ता है। किसी भी अन्य कौशल की तरह मित्रता की कला का भी अभ्यास करना पड़ता है।
वे कौन-सी बातें हैं जो किसी को एक अच्छा मित्र बनाती हैं। आइए गौर करें:
मित्रता को प्राथमिकता दीजिए : कई लोग ऐसे हैं जो चाहते तो हैं कि उनके पास अधिक से अधिक मित्र हों, परंतु मित्र को देने के लिए उनके पास समय नहीं है। पर अगर आप सच्चे मन से मित्रता करना चाहते हैं तो मित्रों के लिए समय निकालने के लिए केवल आपको थोड़ी योजना से काम लेना होगा। आप अपने एक मित्र के साथ शाम को घूमिए, दूसरे के साथ शॉपिंग का प्रोग्राम बना लीजिए, तीसरे के साथ कभी फिल्म देख लें और अगर यह सब संभव न हो तो किसी छुट्टी के दिन सभी मित्र पिकनिक का प्रोग्राम बना लें या किसी एक के यहाँ एकत्रित हो जाएँ। अगर यह भी संभव नहीं है तो फोन पर तो बात की ही जा सकती है।
दुःख-दर्द सुनना भी एक कला है : किसी के भी जीवन में कभी भी कोई समस्या उठ सकती है। ऐसे हालात में उसे एक सच्चे दोस्त की जरूरत महसूस होती है, जो उसका दुःख-दर्द धैर्य के साथ सुन सके, उसे सांत्वना के साथ बिना आलोचना किए समझा सके व बिना झिझके जरूरी सवाल उठा सके।
अंतर्मुखी होने का खतरा : कुछ लोग अपनी गूढ़ भावनाओं को मित्रों के सामने कहने से कतराते हैं। ऐसे लोग अपने भीतर छिपे डर, निराशा और मनोविकारों को प्रकट करने से डरते हैं, परंतु सभी प्रकार की मित्रता में यही वह समय होता है जब आप अपने मन की बात अपने मित्र के सामने रखें। आपके मित्र आपसे निकटता तभी महसूस करेंगे जब आप उन्हें अपने आपको जानने का मौका देंगे।
आप इस बात को लेकर मत डरिए कि यदि आपने अपनी खामियों व दोषों को मित्र के सामने प्रकट कर दिया तो वे आपको कम पसंद करेंगे बल्कि हो सकता है कि वे आपको और अधिक चाहें व आपकी मैत्री प्रगाढ़ बन जाए। अतः मित्रता के प्रारंभिक चरणों में अपनी कमियों को स्वीकार करना प्रीतिकर होता है।
अपने मतभेदों से ग्रहण करें : जब हम अपना ज्यादातर वक्त किसी मित्र के साथ बिताते हैं तब यह कहावत स्मरण हो आती है 'अधिक जान-पहचान घृणा को जन्म देती है।' हम उसकी उन विशेषताओं और कमजोरियों की ओर ध्यान देने लगते हैं जिनसे हमें चिढ़ होती है।
मित्रता का एक नुस्खा ही समानता और असमानता का सही मिश्रण है। आपस में कम से कम इतनी समानता तो होनी ही चाहिए कि आप एक-दूसरे को जान-पहचान कर समझ सकें और इतना अंतर भी होना चाहिए कि आपस में कुछ आदान-प्रदान किया जा सके।
लेखा-जोखा मत रखिए : प्रायः लोग मित्रता के अपने कर्तव्य को टालते रहते हैं। किसने पिछली बार पत्र लिखा था या फोन किया आदि।
अपने मित्रों को उदार बनने दीजिए : किसी से लेना, देने से बेहतर हो सकता है, परंतु यह भी जरूरी है कि आपके मित्र भी यह समझें व जानें कि आपको उनकी जरूरत है। जैसे आपको अपने किसी मित्र की मदद करने में खुशी महसूस होती है। ठीक वैसे ही दूसरों को भी आप अपनी मदद करने का मौका दीजिए।'कौन परेशान करे' या 'सबका एहसान कैसे चुकाएँगे' वाला नजरिया न अपनाएँ।
मित्रों के साथ खिलखिलाइए : किसी ने हँसी को जिंदगी का संगीत कहा है। यही आपके मित्र और आपको सदा खुश रखता है तथा अच्छे मित्रों को और नजदीक लाता है। नाजुक घड़ी में खिलखिलाकर हँसने से तनाव दूर करने में मदद मिलती है तथा अत्यंत ही गंभीर और निराशाजनक परिस्थितियों में भी आपके मित्र को एक नई आशा की किरण दिखाई देती है।
मित्रता को जिंदा रखिए : आज की आपाधापी भरी जिंदगी में मित्रता जैसे अनमोल तोहफे को कई लोगों ने अपनी वरीयता की सूची में एकदम नीचे इसलिए खिसका दिया है, क्योंकि उनका ख्याल है कि इसे निभाने में काफी समय देना पड़ता है जबकि मित्रता जीवन के सर्वाधिक अनमोल तोहफों में से एकहै। आम रिश्तों से हटकर होना ही इसे एक तोहफे का स्वरूप प्रदान करता है। मित्र एक ऐसा उपहार है जिसे आप स्वयं अपने को भेंट करते हैं।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें