गुरुवार, 12 अगस्त 2010

नमस्कार जी

हम जब कभी भी बाते करते है,तो एक वाक्य का ज्यादा प्रयोग करते है......... ''आप ही बताये "तो आज मै भी कुछ एसा ही लिख रही हु

आप ही बताइए

बहुत से किशोरों को शिकायत रहती है क़ि गर्मियों क़ी छुट्टियों में उन के पास करने को कुछ नहीं होता .क्या कोई बता सकता हैं कि एसे में रातों को देर तक घर से बहार रह कर वे क्या किया करते हैं ?

घर में बिजली के पॉइंट चाहे कितने ही क्यों न बने हों ,परक्या कोई बता सकता हैं कि बिजली लेने के लिए आगे बढते ही घर के फर्नीचर आड़े क्यों आ जाते हैं ?

वास्तविक जीवन यदि चालीस बरस पर शुरू होता हैं तो क्या कोई बता सकता हैं कि ३९ बरस कि उम्र पूरे होने पर भला किस चीज का अंत होता हैं ?

हवाई द्वीप का मौसम सारा साल एक सा रहता हैं .क्या कोई बता सकता हैं कि वहां पर लोग बातचीत कि शुरुआत कैसें करते होगें ?


........कभी यह भी क्यों नहीं सुनाई देता कि किसी पुरुष ने किसी स्त्री को सुधारने के लिए उस से विवाह किया हों ?

मंगलवार, 10 अगस्त 2010

तरस गई हूँ मैं
पथरा गई आँखें।
देख चुकी रास्ता
कई बार जा के।

पूछा पड़ोसियों से
उसे देखा है कहीं।
पागल समझते हैं
मुझे लोग सभी।

बहुत मन्नतें माँगी
बहुत रोई, गिड़गिड़ाई।
कितने संदेशे भेजे पर
काम वाली आज फिर नहीं आई।

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शनिवार, 7 अगस्त 2010

नन्हे नन्हे पैरो से शरू होती है जिंदगानी
लगते ही मेहँदी पैरो मै बदल जाती है कहानी

कितनी सुन्दर लगती है ये पग्तिया
नारी सम्मान

अगर आप सोच रहे है के मै यहाँ नारी अपमान की गाथा सुनाने आइ हूँ ...तो बता दू यहाँ ऐसा कुछ नहीं होगा
नारी किसी दूर देश मै नहीं रहती वो तो यही है आपके आस पास कभी माँ बन कर तो कभी बेटी बन कर कभी बहु बन कर तो कभी पत्नी बन कर और भी न जाने कितनी जिन्दगी जीती है नारी,,,,,,,,, तो जाहिर है उसकी दर्द और पीड़ा किसी से छुपी नहीं है इसलिए जो सबको पता है वो नहीं लिखुगी और न ही किसी से नारी के सम्मान को बनाये रखने की गुजारिश करुगी??
वो सब तो यहाँ बरसों से हो रह है
नारी रोज किसी न किसी रूप मैं अपमान का सामना कर रही है,,,,, ,माना आज नारी पढ़ लिख गयी है नोकरी करती है पर उस पड़ी लिखी नारी को भी जिस अपमान का सामना करना पड़ता है वो किसे से छुपा नहीं है कभी अपनों से तो कभी परायो से सभी तो शामिल है ,,,,,,,,,,आज मै आपको ये नहीं कहुगी की महिला को सम्मान से जीने दो और ना ही पुरुष समाज पर इल्जाम लगा कर बात खटम करुगी शायद ये अपमान होगा उन पुरुषो का जिन्होंने महिला उथान के लिए अपना योगदान दिया मै बात करना चाहूंगी हर उस महिला से जिसने किसी न किसी रूप मै अपमान का सामना किया है
आप जानती है शिक्षा की प्रारम्भ सफ़र मै नारी को शिक्षित करने का मकसद सिर्फ नोकरी करना नहीं था
,तब सोच थी की पढ़ी लिखी माँ अपनी संतान को सही सिक्षा दे जिससे वो एक जिम्मेदार इन्सान बन सके ,संस्कार तो दिए माँ ने पर मै पूछती हूँ????????????? कितनी माओ नै अपने बेटे से कहा की नारी का सम्मान करे ,कभी नारी का अपमान ना करे शाएद वो ये सब कहना जरूरी ना समझी उन्हें लगा उनका वक्त तो निकल गया ,पर वो भूल गयी की उनकी बेटी को भी इसी समाज मै जीना है ,अगर हर माँ अपनी संतान को बचपन मै ये संस्कार दे की नारी के लिए उसका सम्मान क्या मायने रखता है तो शायद आने वाले वक्त मै दुनिया बदली नजर आये वक्त लगेगा पर ये अगेर कोई कर सकता है तो नारी ,और अगर पुरुष समाज का साथ भी मिल जाये तो क्या कहने
जय हिंद जय भारत