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पुलकित मन
बुधवार, 29 सितंबर 2010
कोई खुशी या लाभ जो दूसरे के दुख का जन्म होता है के लिए पीड़ा और दु: ख में अंत ही है और इस तरह के अस्थायी सुख या लाभ की enjoyer लिए हानिकारक है.
इस प्रोविडेंस के अपरिवर्तनीय कानून है
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